उत्तराधिकार का क्रम - Axtarish в Google
निर्वसीयत की सम्पत्ति उसी क्रम में और उन्हीं नियमों के अनुसार न्यागत होगी जो लागू होते यदि सम्पत्ति यथास्थिति पता. की या माता की या पति की होती और वह व्यक्ति निर्वसीयत की मृत्यु के अव्यवहित पश्चात् उस सम्पत्ति के बारे में वसीयत. किए ...
14 окт. 2024 г. · उत्तराधिकार के प्रकार. निर्वसीयती उत्तराधिकार: · वसीयती उत्तराधिकार: ; संपत्ति के प्रकार. सहदायिक संपत्ति: · पृथक संपत्ति: ; उत्तराधिकारियों की श्रेणियाँ. प्रथम श्रेणी के उत्तराधिकारी: · द्वितीय श्रेणी के उत्तराधिकारी:.
20 февр. 2023 г. · हिन्दू उत्तराधिकार अधिनियम, 1956 · प्रारम्भिक संक्षिप्त नाम और विस्तार · परिभाषाएं और निर्वचन · अधिनियम का अध्यारोही प्रभाव · निर्वसीयती उत्तराधिकार · तरवाड, तावषि, कुटुम्ब, कबरु या इल्लम की सम्पत्ति में हित का ...
विद्यमान नियम 2 और 3, 4 को क्रमशः नियम 3, 4 और 5 के रूप में पुनः. संख्यांकित किया जाएगा। शब्द उत्तराधिकार में ऐसे ही को पुनः संख्यांकित नियम 4. के अंत में जोड़ दिया जाए। अनुसूची के वर्ग 1 के ...
हिन्दू उत्तराधिकार अधिनियम, १९५६ · (१) जो व्यक्ति जन्म से हिन्दू, बौद्ध, जैन या सिक्ख हो, या · (२) कोई ऐसा व्यक्ति जिसने हिंदू, बौद्ध, जैन या सिक्ख धर्म अपना लिया।
मृत व्यक्ति की जंगम संपत्ति का उत्तराधिकार उस देश की विधि द्वारा विनियमित होगा जिसमें ऐसे व्यक्ति का अधिवास. उसकी मृत्यु के समय था । दृष्टांत. क का अधिवास भारत में है उसकी मृत्यु फ्रांस में होती है और वह जंगम सम्पत्ति फ्रांस में जंगम ...
सम्पूर्ण जोत मृतक A की विधवा B को प्राप्त होगी क्योंकि वरीयता क्रम में विधवा का स्थान पहला है. जबकि भाई एवं भतीजे का स्थान चौथा। 2. एक ही वरीयता क्रम में एक से अधिक उत्तराधिकारियों का होना'. जब एक ही वरीयता क्रम में एक से ...
15 дек. 2022 г. · धारा - 1. लघु शीर्षक और सीमा · धारा - 2. अधिनियम का अनुप्रयोग · धारा - 3. परिभाषाएँ और व्याख्याएँ · धारा - 4. अधिनियम का अधिभावी प्रभाव · धारा - 5. अधिनियम का कतिपय संपत्तियों पर लागू न होना · धारा - 6.
19 сент. 2020 г. · किसी भी हिंदू नारी के संपत्ति के उत्तराधिकार के संबंध में क्रम वही होता है जिस प्रकार हिंदू पुरुष की संपत्ति के उत्तराधिकार में क्रम होता है। सबसे पहले संपत्ति पुत्र, पुत्री और पति को न्यागत होती है। यदि मरने वाली ...
हिन्दू उत्तराधिकार (संशोधन) अधिनियम, २००५, १९५६ के अधिनियम में एक संशोधन है, जो ५ सितंबर २००५ को भारत के राष्ट्रपति से सहमति प्राप्त कर ९ सितंबर २००५ से लागू हुआ। ... यह विधेयक लाने के पीछे मूल उद्देश्य हिंदू उत्तराधिकार ... Не найдено: क्रम | Нужно включить: क्रम
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