Оценка 5,0 (3) अपन तन सीति करै औरन कैं सुख होई।। कबीर की साखी प्रसंग : प्रस्तुत पंक्तिय ाँ हम री लहंदी प ठ्यपुस्तक 'स्पर्श' प ठ-1 'स खी' से िी गई है। इस 'स खी' के कलि संत कबीरद स जी है। |
कबीर की साखी भावार्थ : जिस प्रकार अपने प्रेमी से. बिछड़े हुए व्यक्ति की पीड़ा किसी मंत्र या दवा से ठीक नहीं. हो सकती, ठीक उसी प्रकार अपने प्रभु से बिछडा हुआ. कोई भक्त जी नहीं सकता। उसमें प्रभु भक्ति के अलावा. कुछ शेष बचता ही नहीं। |
इस साखी. के कवि कबीरेदास जी हैं। इसमें कबीर जी अज्ञान रूपी अंधकार में सोये हुए मनुष्यों. को देखकर दुःखी हैं और रो रहे हैं हैं । व्याख्या -: कबीर जी ... |
* ग्रंथ छापे गये हैं और फुटकल शब्दों की हालत में सर्व साधारन के उपकारक पद चुन. लिये हैं। कोई पुस्तक बिना दो लिपियों का मुकाबला किये और ठीक रीति से शोधे. नहीं छापी गई है, और कठिन और अनूठे शब्दों के अर्थ और संकेत फुट ... |
साखी पाठ प्रवेश. 'साखी ' शब्द ' साक्षी ' शब्द का ही (तद्भव ) बदला हुआ रूप है । साक्षी शब्द साक्ष्य से बना है । जिसका अर्थ होता है -प्रत्यक्ष ज्ञान अर्थात जो ज्ञान सबको स्पष्ट दिखाई दे । यह प्रत्यक्ष ज्ञान |
प्रस्तुत पाठ की साखियाँ प्रमाण हैं कि सत्य की साक्षी देता हुआ ही गुरु शिष्य को जीवन के तत्वज्ञान की शिक्षा देता है । यह शिक्षा जितनी. प्रभावपूर्ण होती है उतनी ही याद रह जाने योग्य भी। साखियों का प्रतिपाद्य. कबीर इस पाठ में संकलित ... |
कबीर का जन्म 1398 में काशी में हुआ माना जाता है। गुरु रामानंद के शिष्य. कबीर ने 120 वर्ष की आयु पाई । जीवन के अंतिम कुछ वर्ष मगहर में बिताए. और वहीं चिरनिद्रा में लीन हो गए। छू. कबीर का आविर्भाव ऐसे समय में हुआ था जब ... |
कबीर दास एक रहस्यवादी कवव और भारत के महान संत, का जन्म वर्ष1440 मेंहुआ था. और वर्ष1518 मेंदेहांत हो गया था। इस्लाम के अनुसार कबीर का अथषमहान होता है। कबीर पंथ एक ववशाल धार्मषक समुदाय हैजो संत मत के संप्रदाय ... |
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