31 мар. 2024 г. · बिगुल चुनावी बज गया , लम्बी लगी कतार, टिकट जुगाड़ू सक्रिय, वादों की बौछार। टिकट जिसका कट रहा, मिमियावे चहु ओर, जिसकी लग रही लॉटरी, वह है आत्मविभोर। कोई दल को बदल. |
"आनंद उवाच" कमल खिला इस तरह से, गया हाथ का जोर।। झाड़ू के तिनके गए, पता नहीं किस ओर।1 हाथी सायकिल पर चढ़ा, यू पी में इस बार, सायकिल पंचर हो गई, हुआ कमल. Read more hindi poetry, hindi shayari, ... |
ठगबन्धन में सीटों के बँटवारे को लेकर तालमेल और सामंजस्य का अभाव है। चुनावी तिथियाँ घोषित होते ही सभी दलों के प्रत्याशी अपने अपने संसदीय क्षेत्रों में जनसम्पर्क भी प्रारम्भ कर चुके। सन् २०२४ के लोकसभा चुनाव पर केन्द्रित 'चुनावी चकल्लस ... |
एक जमूरा पीटता, खूब फटे तक ढोल मुँह से पर निकले नहीं, ढाई आखर बोल ##. खोलो मन की खिड़कियाँ, दरवाज़े भी खोल प्रजातन्त्र में छूट है, जो चाहे सो बोल ##. मन को अपने मैं रखूँ, कहाँ-कहाँ मौजूद |
Оценка 3,4 (526 000) · Бесплатно · Android परसों उसकी थी 'सपा', कल पंजे का साथ। अब लगता है भाजपा, के बिन हुआ अनाथ।। के बिन हुआ अनाथ, वहां कल दम था 'घुटता'। आज लगे वो पाक, जहां सब कल था 'लुटता'।। कहे 'ओम' कविराय, लाभ बिन क्यों तुम तरसो। थामेंगे कल 'हाथ' ... |
वोट दिया या भीख दी, गया हाथ से तीर। किस को हैं पहिचानते, नेता, पीर, फकीर।।2।। गीदड़ बहुमत ढूँढ़ते, रहे अकेला शेर। गीदड़ रहते डरे ... |
आज के नव भारत टाइम्स समाचार पत्र में चुनावी दोहे 1- नेताओं पर चढ़ गया, अब चुनाव का रंग। सबने मिलकर घोंट ली, राजनीति की भंग।। 2- नेताओं को देखकर, गिरगिट करे विलाप। रंग बदलने में सभी, हैं अपने भी बाप । |
11 дек. 2017 г. · आज चुनावी रंग में, रँगे गली औ' गाँव। प्रत्याशी हर व्यक्ति के, पकड़ रहे हैं पाँव।।1।। पोस्टर बैनर से पटे, हैं सब दर-दीवार। सभी मनाएँ प्रेम से, लोकतंत्र-त्यौहार।।2। |
6 мая 2024 г. · चुनावी मौसम के दोहे वोट चरन दिन आ गए, गदहे-घोड़े साथ। बॉंट बॉंट कर खा रहे, लोभ लिखा है माथ।। जन ने मन से कुछ चुने, संसद के सरदार। बिन श्रम पानी खाद के, 'फसल' मिले परिवार। |
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