मेरा प्रेम तुझसे निस्वार्थ है, तू दो बातें भी मुस्कुराकर कर ले इस दिल को सुकून है, मेरा प्रेम तुझसे निस्वार्थ है, इसलिए हर दिन रहती है तुझसे बात करने की तलब, कही फिर. Read more hindi poetry, hindi shayari, |
जनाब, मेरे निस्वार्थ प्रेम के आलिंगन में उसने इस कदर से मुझे अपने प्रेम भरी बांहों में समेटी की मैं और मेरी आत्मा दोनों ही कही उसमें लीन हो गये। निस्वार्थ प्रेम © Jun '21 , रजनीश कुमार love. |
30 мая 2024 г. · प्रेम अगर निस्वार्थ हो तो भक्त नही भगवान भक्त से मिलने की प्रतिक्षा करते है.. |
Novbeti > |
Axtarisha Qayit Anarim.Az Anarim.Az Sayt Rehberliyi ile Elaqe Saytdan Istifade Qaydalari Anarim.Az 2004-2023 |