जीवन मे निश्वार्थ भाव से, थोड़ा कुछ कर के देखो किसी गैर के पोछ के आंसू, उसे गले लगा कर के देखो भूखे को दो वक्त की रोटी, जरा खिला कर के देखो भूल जाओगे कष्ट तुम्हारे, उसे जरा हँसा कर तो देखो |
सेवा की भावना, समय के साथ बदली बदल गए लोग, मांगें भी उनकी बदलीं निस्वार्थ सेवा का भाव, अब कम हो रहा है बढ़ रहे हैं हम सब, पर प्यार कम हो रहा है माता पिता की सेवा हो, या गुरु श्रेष्ठजनों की सेवा |
26 дек. 2022 г. · सेवा से शत्रु भी मित्र हो जाता है, पढ़ें इससे जुड़ी 5 अनमोल सीख · सेवा मनुष्य की स्वाभाविक वृत्ति है. · सेवा हृदय और आत्मा को पवित्र करती है. · कमजोर, बीमार और दु:खी व्यक्ति की मदद और उनकी करना मनुष्य के ... |
8 сент. 2016 г. · सेवा व्यवहार ही मनुष्य की पहचान बनाता है और उसकी नि:स्वार्थ भावना को चमकाता है। ... -सेवा मानव की ऐसी सर्वोत्तम भावना है, जो मानव को सच्चा मानव बनाती है। मानवता के प्रति प्रेम को किसी देश, जाति या धर्म की ... |
5 мая 2020 г. · निस्वार्थ प्रेम को परिभाषित करने वाली,. हिन्दी के महनीय कवि हरिवंशराय बच्चन जी के काव्य की कुछ पंक्तियां। प्यार किसी को करना लेकिन. कह कर उसे बताना क्या. अपने को अर्पण करना पर. और को अपनाना क्या। |
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