यह सन् 1609 में लिखी गई है। मुहम्मद कुली कुतुबशाह स्वयं एकहूर श्रेष्ठ कवि थे। इनका 'कुलियाते कुली कुतुबशाह' एक वृहत काव्य ग्रंथ है। वजही की प्रख्यात गद्य-कृति 'सबरस ' ... |
लेखक : ख़्वाजा बंदानवाज गेसूदराज़ ; संपादक : ख़लीक़ अंजुम ; प्रकाशक : मोहम्मद यूसुफ़ जामई ; मूल : दिल्ली, भारत ; प्रकाशन वर्ष : 1957. |
इनमें से कौन विद्वान 'साहित्य लहरी' को अप्रमाणिक रचना मानते हैं? ... 'मेरा - जुल- आशकीन' इनमें से किसमें लिखी गई है? |
यह मैथिली गद्य की रचना है किन्तु इसमें प्रयुक्त शब्दों को देखकर ऐसा लगता है कि तत्कालीन ... मेराजुल - आशकीन" दक्खिनी गद्य की पहली पुस्तक मानी जाती है। |
'मेराजुल आशकीन' को 'दक्खिनी गद्य की प्रथम पुस्तक' माना. जाता है। इसमें सूफी धर्म का उपदेश है। • 'सबरस' को 'उर्दू साहित्य' की प्रथम गद्य रचना माना जाता है। |
मानते हैं | कुछ लोगों का कहना है कि जो व्यक्ति पवित्र थे, वे 'सुफी' कहलाये | कुछ का कथन है कि मदीना में मुहम्मद साहब द्वारा बनवाई. गई मस्जिद के बाहर 'सुफ्फा' अर्थात् चबूतरे पर जिन गृहहीन व्यक्तियों ने आकर शरण ली थी तथा ... |
इंशाअल्ला खाँ का जन्म मुर्शिदाबाद, बंगाल में हुआ था लेकिन उन्होंने कुछ समय दिल्ली में रहने के बाद लखनऊ चले गए। इंशा उर्दू और फारसी भाषा के भी विद्वान थे। 'रानी केतकी की कहानी' (उदयभान चरित) उनकी खड़ी बोली में रचित महत्वपूर्ण रचना ... |
8 февр. 2024 г. · श्री जयशंकर प्रसाद और मुंशी प्रेमचंद। |
v 1998 – नई कविता का रचना विधान v 1998 – भारतीय बहुभाषिकता के ... v ख्वाजा बंदेनवाज़ गेसूदराज का 'मेराजुल आशकीन' और उसकी भाषा |
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