रूप से दो लोगों के बीच होने वाली बातचीत को संवाद कहा जाता है। दो. व्यक्तियों की बातचीत को 'वार्तालाप' अथवा 'संभाषण' अथवा 'संवाद' कहते हैं। दो लोगों में हुई बातचीत को लिखना संवाद-लेखन कहलाता है। |
टेलीविजन के लिए लिखने जाने. वाले संवाद रोचक, सरल, स्पष्ट व स्वाभाविक होने के साथ-. साथ दर्शको को बांधे रखने में भी सक्षम होने चाहिए। संवाद लेखन की विशेषताए. तथ्यों को हमझ में रखना होता. में निम्नलिखित विशेषताएँ. ३)पात्रानुकूलता. |
संवाद लेखन में सरल तथा छोटे-छोटे वाक्यों का प्रयोग करना चाहिए। ○ भाषा सुनने वाले के मानसिक स्तर के अनुरूप होनी चाहिए। ○ संवाद लेखन में किसी एक पात्र के कथन को बहुत लंबा नहीं खींचना चाहिए। ○ भाव विचारों की पुनरुक्ति से बचना चाहिए। |
Page 2. Page 3. संवाद-लेखन: किसी विषय पर दो. या दो से अधिक. व्यक्तियों के मध्य. हुए वार्तालाप या. संभाषण को संवाद. कहते हैं. Page 4. लेखन करते समय ध्यान देने योग्य बातें-. Page 5. संवाद जिस विषय या स्थिति के संबंध. |
संवाद-लेखन भी अन्य विधाओं की भाँति साहित्य का ही अंग. है। संवाद दो या दो से अधिक व्यक्तियों की आपसी बातचीत. को कहा जाता है और उसे लिपिबद्ध करना संवाद-लेखन. कहलाता है। अत: संवाद-लेखन करते समय कुछ बातें ध्यान. |
, , , , संवाद लेखन में ध्यान देने योग्य बातें - संवाद-लेखन में निम्नलिखित बातों का, , ध्यान रखना चाहिए, > संवाद की भाषा सरल तथा सहज होनी चाहिए।, > संवाद लेखन में सरल तथा छोटे-छोटे वाक््यों का प्रयोग करना चाहिए।, > भाषा सुनने ... |
संवाद-लेखन. संवाद का अर्थ- संवाद का अर्थ होता है - बातचीत अर्वा वाताथलाप | यह दो मित्रों, दो भाइयों, बहनों, िााँ-बेटा, पपता-पुत्र, गुरु-मिष्य ककन्ही के बीच हो सकती है | इसिें एक के द्वारा कही गयी बात को सन ु कर दस |
वार्त्तालाप भा संवाद के आधार इहे वाक्य होखेला । संवाद-लेखन. |. एगो कला बा । जवन एह कला में जतना पारंगत, दक्ष होला, ओकर संवाद-लेखन ओतने. उत्कृष्ट होला । एह कारण से संवाद-लेखन कवनो रचना के एगो आवश्यक अंग होखेला |. |
दिवसीय क्रिकेट मैच - श्रृंखला का अंतिम मैच है। दोनों मैच देखना चाहते हैं, परंतु पढ़ाई के दबाव से भी डरते हैं । उनमें हुई. वातचीत की कल्पना कीजिए । मनीष. आकाश. मनीष. आकाश. मनीष. आकाश. -. —. —. आकाश! |
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