सर्वोच्च न्यायालय को संविधान की व्याख्या का अंतिम तथा पूर्ण अधिकार है जो उसे मुख्यतः अनुच्छेद 131, 132 तथा 133 से प्राप्त होता है। सर्वोच्च न्यायालय को देश के सभी न्यायालयों, पंचायतों आदि का न्यायिक अधीक्षण करने की शक्ति प्राप्त है। |
प्रत्येक उच्च न्यायालय को अपने अधिकार क्षेत्र के भीतर किसी भी व्यक्ति को मौलिक अधिकारों के प्रवर्तन और किसी अन्य उद्देश्य के लिए बंदी प्रत्यक्षीकरण, परमादेश, निषेध, अधिकार पृच्छा और उत्प्रेषण की प्रकृति वाले रिट सहित निर्देश, आदेश ... |
9 янв. 2024 г. · भारत के सर्वोच्च न्यायालय की पहली और सबसे महत्वपूर्ण शक्ति न्यायिक समीक्षा के माध्यम से नागरिकों और विदेशियों के मौलिक अधिकारों की रक्षा करना है। अपने अपीलीय क्षेत्राधिकार के तहत विभिन्न राज्यों के उच्च न्यायालयों के ... |
संविधान के अनुसार सर्वोच्च न्यायालय के न्यायाधीशों की नियुक्ति का अधिकार अभी भी राष्ट्रपति के. पास है, परंतु सर्वोच्च न्यायालय के 1999 के निर्णय ने राष्ट्रपति को मुख्य न्यायाधीश की सलाह मानने. को बाध्य कर दिया है। अब यह शक्ति न्यायाधीशों ... |
18 авг. 2024 г. · संविधान के अनुच्छेद 131 के अनुसार, सर्वोच्च न्यायालय उन मामलों पर मूल अधिकार क्षेत्र के रूप में कार्य करता है जहां विवाद या तो केंद्र सरकार और राज्य सरकार के बीच या दो या अधिक राज्य सरकारों के बीच होते हैं। |
सर्वोच्च न्यायालय द्वारा दी गयी संविधान की व्याख्या सर्वोपरि एवं सर्वोत्तम मानी जाती है और साथ ही संविधान के अनुच्छेद 137 के अनुसार सर्वोच्च न्यायालय को न्यायिक पुनरावलोकन का अधिकार प्राप्त है । अर्थात सर्वोच्च न्यायालय को अपने द्वारा ... |
भारत में सर्वोच्च न्यायालय की भूमिका में विभिन्न प्रकार के कार्य शामिल हैं, जैसे संविधान की व्याख्या और अनुप्रयोग सुनिश्चित करना, मौलिक अधिकारों की रक्षा करना और कानूनी विवादों पर अंतिम निर्णय प्रदान करना। भारत में सर्वोच्च न्यायालय की भूमिका ... |
प्रश्न 86 : सर्वोच्च न्यायालय की शक्तियों का वर्णन कीजिए। उत्तर- सर्वोच्च न्यायालय की शक्तियाँ निम्नानुसार हैं-. 1. प्रारम्भिक क्षेत्राधिकार- ऐसे विवाद जो देश के अन्य न्यायालयों में नहीं जाते केवल सर्वोच्च न्यायालय में ही प्रस्तुत होते ... |
6 июн. 2024 г. · सुप्रीम कोर्ट भारत के संविधान का अंतिम व्याख्याकार है। उच्चतम न्यायालय को संविधान के प्रावधानों और उसमें प्रयुक्त शब्दावली की भावना एवं विषय-वस्तु की अंतिम व्याख्या करने का अधिकार है। अन्य ... |
सर्वोच्च न्यायालय द्वारा घोषित कानून भारत के सभी न्यायालयों के लिये बाध्यकारी है। इसे न्यायिक समीक्षा की शक्ति प्राप्त है - संविधान के प्रावधानों एवं संवैधानिक पद्धति के विपरीत विधायी तथा शासनात्मक कार्रवाई को रद्द करने की शक्ति, संघ एवं ... |
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