अनुच्छेद 131 के अंतर्गत सर्वोच्च न्यायालय के मौलिक क्षेत्राधिकार का वर्णन किया गया है। ये मौलिक क्षेत्राधिकार ऐसे विवाद से संबंधित हैं, जिसमें विधि का या तथ्य का कोई प्रश्न अंतर्निहित है जिस पर कोई विधिक अधिकार का अस्तित्व अथवा विस्तार ... |
उच्चतम न्यायालय के पास मूल, अपीलीय और सलाहकार अधिकार क्षेत्र है। इसका अनन्य मूल अधिकार क्षेत्र भारत सरकार और एक या एक से अधिक राज्यों के बीच या एक तरफ़ भारत सरकार और किसी राज्य या राज्यों के बीच और दूसरी तरफ़ ... |
इस क्षेत्राधिकार में मुख्य रूप से भारत सरकार और एक या अधिक राज्यों के बीच या राज्यों के बीच के विवाद शामिल हैं। अपील न्यायिक क्षेत्र: सर्वोच्च न्यायालय देश में अपील की सर्वोच्च अदालत है। यह दीवानी और आपराधिक दोनों मामलों में उच्च ... |
6 июн. 2024 г. · समीक्षा क्षेत्राधिकार (Review Jurisdiction). सर्वोच्च न्यायालय के पास अपने द्वारा दिए गए किसी भी फैसले या आदेश की समीक्षा करने की शक्ति है। संवैधानिक व्याख्या (Constitutional Interpretation). |
22 дек. 2020 г. · सर्वोच्च न्यायालय अन्य सहायक अदालतों यानी उच्च न्यायालयों से अपील के खिलाफ अंतिम फैसला देता है। यह एक संस्था के रूप में कार्य करता है जहां विभिन्न सरकारी निकायों, केंद्र सरकार और राज्य सरकार के मुद्दों को ... |
अपने इस अधिकार का प्रयोग कर. सर्वोच्च न्यायालय न केवल विवादों को सुलझाता है बल्कि संविधान में दी गई संघ. और राज्य सरकारों की शक्तियों की व्याख्या भी करता है । 'रिट' संबंधी क्षेत्राधिकार. जैसा कि आपने मौलिक अधिकारों वाले अध्याय में पढ़ा कि ... |
24 июл. 2022 г. · संविधान के अनुच्छेद 137 के तहत सर्वोच्च न्यायालय को समीक्षा अधिकार क्षेत्र प्राप्त है। यह अनुच्छेद प्रदान करता है कि सर्वोच्च न्यायालय को अपने स्वयं के निर्णयों और आदेशों की समीक्षा करने की शक्ति है। सर्वोच्च ... |
भारतीय संविधान का अनुच्छेद 131 कुछ अपवादात्मक मामलों में सर्वोच्च न्यायालय को मूल अधिकार क्षेत्र प्रदान करता है। हालाँकि, यह क्षेत्राधिकार किसी संधि, समझौते या अन्य दस्तावेज़ से उत्पन्न विवाद पर लागू नहीं होता है जो अब प्रभावी है और ... |
मौलिक अधिकारों का संरक्षण: सर्वोच्च न्यायालय संविधान द्वारा प्रदत्त मौलिक अधिकारों की रक्षा और उन्हें लागू करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है। यह सुनिश्चित करता है कि व्यक्तियों को उनके मूल अधिकारों से गैरकानूनी रूप से वंचित नहीं किया जाए। |
सर्वोच्च न्यायालय द्वारा घोषित कानून भारत के सभी न्यायालयों के लिये बाध्यकारी है। इसे न्यायिक समीक्षा की शक्ति प्राप्त है - संविधान के प्रावधानों एवं संवैधानिक पद्धति के विपरीत विधायी तथा शासनात्मक कार्रवाई को रद्द करने की शक्ति, संघ एवं ... Не найдено: उत्तर | Нужно включить: उत्तर |
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