2 июн. 2022 г. · सत्व के योग से उत्पन्न आंगिक चेष्टाएँ। · इसे 'अयत्नज भाव' भी कहते है। · सात्विक अनुभाव की संख्या आठ हैं-. स्तम्भ, स्वेद, रोमांच, स्वर-भंग, कम्प, विवर्णता, अक्षु तथा प्रलय। |
26 сент. 2020 г. · सात्विक अनुभाव वे होते हैं जिनके ऊपर आलंबन का नियन्त्रण नहीं रहता है। इसके आठ प्रकार हैं: 1. स्तम्भ : प्रसन्नता, लज्जा ,व्यथा आदि के कारण शरीर की चेष्टाओं पर विराम होना। 2. स्वेद ... |
26 сент. 2022 г. · स्वतः यानि अपने आप उत्पन्न होने वाली चेष्टाएं सात्विक अनुभाव कहलाते हैं। · ये आठ प्रकार के होते हैं-. स्वेद; रोमांच; वैवर्ण्य; कंपन; अश्रु; स्वर भंग; स्तंभ; प्रलय. |
जिसका उद्भव वाक्य और अंगाभिनय से होता हैं, उसे अनुभाव कहते हैं। ... संक्षिप्त श्रृंगार को सात्विक भाव और शर्म द्वारा दिखाया जाता है ... |
वेपथु :- क्रोध, भय, शीत, आनन्द, श्रम, रोग, ताप आदि से यह उत्पन्न होता है। कम्प आदि इसके अनुभाव होते हैं। ... वैवण्य (कान्तिहीनता) :- रोष, भय, क्रोध, हँसी आदि से शरीर के रंग बदल जाने को वैवर्ण्य सात्विक भाव कहते हैं। |
बेस्टसयों को अनुभाव करते हैं। हाव. नायक ... विकार को सात्विक अनुभाव कहते हैं। इनकी. |
16 авг. 2020 г. · कायिक अनुभाव के आश्रय द्वारा की जाने वाली अलग-अलग शारीरिक चेष्टाओं को कायिक अनुभाव कहते हैं। ... सात्विक अनुभाव : स्वतः यानि अपने आप उत्पन्न होने वाली चेष्टाएं सात्विक अनुभाव कहलाते हैं। |
... अनुभाव कहते हैं, अर्थात जो भावों का अनुगमन करे वह अनुभाव कहलाता है। ... परंतु, स्थायी भाव के जाग्रत होने पर स्वाभाविक, अकृत्रिम, अयत्नज, अंगविकार को सात्विक अनुभाव कहते हैं। |
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